डॉ आकांक्षा गुप्ता: संगीत और प्रकृति का घनिष्ठ संबंध
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By Admin
Published - 05 June 2022 421 views
संगीत और कुदरत के बीच गहरे एवंअभिन्न रिश्ते का मधुर एहसास हर एक संवेदनशील व्यक्ति महसूस करता है। संगीत को सृष्टि का सृजन कर्ता कहा जाता है। वह जड़ चेतन सभी में व्याप्त है। सरिताओं की कल कल मधुर ध्वनि, पशु पक्षी की बोली, हवा के झोंकों से हिलते पत्तों की खड़खड़ाहट, हृदय की धड़कन इन सभी में संगीत के आनंद को समझा जा सकता है। संगीत चिकित्सा के अनुसार पशु पक्षी मनुष्य की भाषा को समझने में असमर्थ है लेकिन संगीत के स्वरों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ता है,जो उनकी वृद्धि में भी सहायक होते हैं ।वर्षों से प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा साथ ही पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है। पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा क्योंकि धरती पर जीवन के लालन-पालन के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है। वह प्रत्येक तत्व जिसका प्रयोग हम जीवित रहने के लिए करते हैं वह सभी पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं ।हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन को अस्तित्व में रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है फिर भी हमारा पर्यावरण दिन प्रतिदिन मानव निर्मित तकनीक तथा आधुनिक युग के आधुनिकीकरण के वजह से नष्ट होता जा रहा है इसलिए आप हम पर्यावरण प्रदूषण जैसे सबसे बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं। पर्यावरण को बचाने में संगीत भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है ,देखा जाए तो संगीत का जन्म ही प्रकृति की आवाजों से हुआ है।ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार अमेरिका में एक गाने ने सैकड़ों लोगों की को आत्महत्या करने से रोका और साथ ही आत्महत्या रोकने से संबंधित हेल्पलाइन पर मदद मांगने वालों की संख्या भी कई गुना बढ़ गई।संगीत केवल लोगों की जिंदगी नहीं बचा रहा बल्कि संगीत उद्योग अब जलवायु परिवर्तन और तापमान वृद्धि को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है ।दुनिया की सबसे बड़ी संगीत कंपनियां सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट, यूनिवर्सल म्यूजिक ग्रुप और वार्नर म्यूजिक ग्रुप में कई अन्य संगीत कंपनियों के साथ म्यूजिक क्लाइमेट समझौता किया है(music climate pact) इसके माध्यम से आने वाले वर्षों में यह कार्बन उत्सर्जन को कम कर देगी।ऑस्ट्रेलिया में एक एल्बम मे 53 ऐसे पक्षियों का कलरव है जो विलुप्ति करण के पायदान पर है इस एल्बम का नाम है सॉन्ग ऑफ डिफेंस पक्षियों के महत्व पर भी अध्ययन किए गए हैं यह एक चिंता का विषय है कि जब एक छोटा बच्चा अपने आसपास की नैसर्गिक सुंदरता से आकर्षित होता है तो एक परिपक्व मस्तिष्क उसे नष्ट करने की क्यों सोचता है इसलिए हमें यह प्रयास करना चाहिए कि हम चारों ओर से पर्यावरण के द्वारा प्रदान किए गए सुरक्षा कवच से गिरे हैं तो हमें इस कवच में और मजबूती प्रदान करने की सोचनी चाहिए ना कि इसके परतो को खोलने की ।
स्वरचित कविता के माध्यम से संदेश
"बस एक पेड़ ही तो लगाना है"
प्रकृति से कुछ रिश्ता ऐसा
एक बालक और मां के जैसा
इस रिश्ते की डोर निभाना है
बस एक पेड़ ही तो लगाना है
मानव पशु या पर्वत झरने
सबको दिया है जीवन तुमने
तेरा यह उपकार पुराना है
बस एक पेड़ ही तो लगाना है
जिस दिन हम यह प्रण कर लेंगे सुरक्षित अपना जीवन कर लेंगे इसकी सुंदरता को हीतो बचाना है
बस एक पेड़ ही तो लगाना है
आओ आगे मिलकर कदम बढ़ाए क्यों ना हर दिन एक पेड़ लगाएं इस मां की भी तो उम्र बढ़ाना है बस एक पेड़ ही तो लगाना है
जन जन तक यह संदेश जगाए मातृभूमि को फिर लहराए
फिर से वह गांव बसाना है
बस एक पेड़ ही तो लगाना है
स्वरचित कविता डॉक्टर आकांक्षा गुप्ता
असिस्टेंट प्रोफेसर संगीत गायन जुहारी देवी गर्ल्स पीजी कॉलेज कैनाल रोड ,कानपुर
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